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Shri Radha Kripa Kataksh | | श्री राधा कृपा कटाक्ष

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Published 22 May 2019

श्री राधा कृपा कटाक्ष || Shri Radha Kripa Kataksh By Pujya Hit Ambrish Ji Mahraj आप सभी "राधा कृपा कटाक्ष" का श्रवण नित्य करे । Download " Shri Radha KripaKataksh " In PDF File Here ( In Hindi Meaning )👇👇 http://bit.ly/2HGfEMX ••••|| श्री राधाकृपा कटाक्ष ||•••• मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी। व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१) अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते, प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले। वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (२) अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां, सुविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्तबाणपातनैः। निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (३) तड़ित्सुवर्ण चम्पक प्रदीप्तगौरविग्रहे, मुखप्रभा परास्त-कोटि शारदेन्दुमण्ङले। विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशाव लोचने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (४) मदोन्मदाति यौवने प्रमोद मानमण्डिते, प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते। अनन्य धन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (५) अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते, प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी। प्रशस्तमंदहास्यचूर्ण पूर्ण सौख्यसागरे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (६) मृणाल वालवल्लरी तरंग रंग दोर्लते , लताग्रलास्यलोलनील लोचनावलोकने। ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रिते कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (७) सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेख कम्बुकण्ठगे, त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्ति दीधिते। सलोल नीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (८) नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण, प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले। करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (९) अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्, समाजराजहंसवंश निक्वणाति गौरवे, विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारू चक्रमे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१०) अनन्तकोटिविष्णुलोक नम्र पदम जार्चिते, हिमद्रिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे। अपार सिद्धिऋद्धि दिग्ध -सत्पदांगुलीनखे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (११) मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी, त्रिवेदभारतीश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी। रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी, ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते॥ (१२) इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी, करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम्। भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकर्मनाशनं, लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डल प्रवेशनम्॥ (१३) जय श्री राधे....❣️❣️❣️ #HitKripa #ShriRadhakripaKataksh #MeriKishroiRadhe

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